

यह पुस्तक कक्षा 11 तथा 12 केे ICSE , CBSE एवं अन्य समकक्ष बोर्डो के लिए तथा प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद, अखिल भारतीय गंर्धव महाविद्यालय मण्डल मुम्बई एवं प्राचीन कला केन्द्र चंडीगढ़ के तृतीय एवं चतुर्थ वर्ष के लिए उपयुक्त है। इसमें पं0 भांतखंडे द्वारा रचित घरानेदार गीतों की स्वरलिपियाँ दी गयी हैं। सम्पादक ने विद्यार्थियों की सुविधा के लिए रागों का राग विवरण आरोह-अवरोह, पकड़, न्यास के स्वर, समप्रकृति राग विशेष स्वर संगतियाँ, मुक्त आलाप, 8 मात्रा का तालबहु आलाप, 16 मात्रा का तालबहु आलाप, 8 माला की ताने, तथा 16 मात्रा की तानें रचना कर लिखी हैं।
यह पुस्तक कक्षा 11 तथा 12 केे ICSE , CBSE एवं अन्य समकक्ष बोर्डो के लिए तथा प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद, अखिल भारतीय गंर्धव महाविद्यालय मण्डल मुम्बई एवं प्राचीन कला केन्द्र चंडीगढ़ के तृतीय एवं चतुर्थ वर्ष के लिए उपयुक्त है। इसमें पं0 भांतखंडे द्वारा रचित घरानेदार गीतों की स्वरलिपियाँ दी गयी हैं। सम्पादक ने विद्यार्थियों की सुविधा के लिए रागों का राग विवरण आरोह-अवरोह, पकड़, न्यास के स्वर, समप्रकृति राग विशेष स्वर संगतियाँ, मुक्त आलाप, 8 मात्रा का तालबहु आलाप, 16 मात्रा का तालबहु आलाप, 8 माला की ताने, तथा 16 मात्रा की तानें रचना कर लिखी हैं।
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